डिस्कवरी चैनल का नया शो 'मैन वुमन #MeToo' भारत में '#MeToo' अभियान की तह तक जाएगा
मुंबई । साल 2018 में थॉम्पसन रॉयटर्स फाउंडेशन की ओर से एक सर्वेक्षण जारी किया गया था, जिसमें महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामले में भारत को सबसे चिंताजनक राष्ट्र बताया गया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में हर 20 मिनट में एक औरत का बलात्कार होता है। इनमें से 93% बलात्कार, पीड़ित के ही परिचित द्वारा किए जाते हैं। ये आंकड़े क्या दिखाते हैं? इसमें पितृसत्ता यानी पुरुषवादी सोच की क्या भूमिका है? सारी दुनिया की महिलाओं को यौन प्रताड़ना के खिलाफ आवाज उठाने के लिए एकजुट करने वाले चर्चित '#MeToo मूवमेंट' को भारत में भी भारी समर्थन मिला था। डिस्कवरी चैनल अब वॉइस स्टूडियोज़ के निर्माण में बने शो 'मैन वुमन #MeToo' के जरिए इस अभियान की तह तक पहुंच रहा है। इस शो में उन पुरुषवादी दबावों का अध्ययन किया जाएगा, जो दशकों तक हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। 29 नवंबर को रात 9 बजे डिस्कवरी चैनल एवं डिस्कवरी चैनल एचडी पर इस शो का प्रीमियर होने जा रहा है।
करीब एक साल पहले भारत में '#MeToo मूवमेंट' चरम पर था, जब मनोरंजन जगत में एक के बाद एक मामले उजागर हो रहे थे, और इसने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर खुलकर बोलने की संस्कृति ला दी थी। मनोरंजन जगत से जुड़ी महिलाओं ने अपने साथ काम कर रहे पुरुषों द्वारा किए गए चौंकाने वाले दुर्व्यवहारों की घटनाएं सामने लाईं। इनमें ऐसी करतूतें उजागर की गईं जो कई वर्षों तक अनसुनी रहीं। एक महीने से भी कम समय में बहुत-सी जानी-मानी हस्तियां यौन अपराधियों के रूप में बहिष्कृत की गईं। कई अन्य को यौन प्रताड़ना को बढ़ावा देने के लिए बाहर का रास्ता दिखाया गया। यह डॉक्यूमेंट्री भारत में '#MeToo मूवमेंट' की पड़ताल करते हुए देश में पुरुषवादी मानसिकता की गहराई में भी झांकेगी। साथ ही, इस समस्या की गंभीरता दिखाई जाएगी और कैसे रोज़मर्रा की जिंदगी में हम में से हर एक व्यक्ति इसे बढ़ावा देते हुए इसका हिस्सा बना हुआ है। इसमें मनोचिकित्सक, जेंडर एक्सपर्ट, वकील, पुलिसकर्मी एवं अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। ये सभी इस पुरुषवादी सोच के पीछे के सामाजिक ढांचे और विचारधारा पर गौर करेंगे, और असली जिंदगी से जुड़े उदाहरणों और केस स्टडीज़ के जरिए इसके कारण बताएंगे।
डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया, दक्षिण एशिया की मैनेजिंग डायरेक्टर मेघा टाटा ने कहा, “#MeToo मूवमेंट देश में बहुत से लोगों के लिए आंखें खोलने वाला आंदोलन रहा। इसने महिलाओं को अपने शोषणकर्ताओं का नाम उजागर करने का हौसला दिया। इस आंदोलन ने हमें यह भी बताया कि हम कितनी आसानी से पितृसत्ता को बढ़ावा देते हैं। यही पुरुषवादी सोच खतरनाक व्यवहारों को जन्म देती है, जिनसे महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा मिलता है। 'मैन वुमन #MeToo के साथ हमें उम्मीद है कि हमारे दर्शक यह समझ सकेंगे कि पितृसत्ता की समस्या की जड़ें कितनी गहरी है और लैंगिक समानता का अर्थ क्या है। हम इस महत्वपूर्ण फिल्म को प्रस्तुत करते हुए बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं, जो यह दिखाती है कि हम किस तरह से अपने बच्चों की परवरिश कर रहे हैं और यदि हमें सचमुच बदलाव लाना है तो कैसे हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है।”
वॉइस एशिया की हेड ऑफ कंटेंट समीरा कंवर बताती हैं, “17 दिसंबर 2012 को पूरा भारत महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे जघन्य मामले की खबर से जागा था। सभी ने सोचा था कि यह घटना भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर लगाम लगा देगा। लेकिन दुर्भाग्य से इस आंदोलन ने समय से पहले ही दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद पूरे 6 साल लग गए जब #MeToo मूवमेंट ने देश की सैकड़ों महिलाओं को उन पुरुषों के खिलाफ सामने आने और अपनी आवाज उठाने की हिम्मत दी, जिन्होंने उनका शोषण किया था। 'मैन वुमन #MeToo', इस आंदोलन की तह तक जाकर यह बताएगा कि पुरुषवादी सोच का एक महिला की रोज की जिंदगी पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है।”
भारत को महिलाओं के खिलाफ अपराधों से मुक्त होने में अभी लंबी दूरी तय करनी है। इसका जवाब सख्त कानून बनाने या ज्यादा से ज्यादा अपराधों की खबरें सामने लाने में नहीं है। भारत और समूचे विश्व को महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता के विचार को बदले नजरिए से देखना होगा। सुरक्षा कानून एवं समानता मामलों की अधिवक्ता नैना कपूर भी इस फिल्म में हैं। वो संक्षिप्त में बताती हैं – 'समानता एक ऐसा मैदान है जिस पर मैं चलती हूं। यह कोई आसमान नहीं है जिसे मैं छूना चाहती हूं।' 'मैन वुमन #MeToo' का प्रीमियर 29 नवंबर को रात 9 बजे डिस्कवरी चैनल एवं डिस्कवरी चैनल एचडी पर होने जा रहा है।