जीएमपीएफ ने सरकार से दिसंबर, 2019 के आखिर तक गोवा में खनन पुनः प्रारंभ कराने का वादा पूरा करने की अपील की

 यदि दिसंबर के अंत तक खनन पुनः प्रारंभ नहीं हो पाता है तो जनवरी से खनन पर निर्भर सभी लोगों के लिए विशेष पैकेज की मांग


नई दिल्ली : गोवा में खनन उद्योग से आजीविका कमाने वाले लाखों कामगारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन गोवा माइनिंग पीपुल्स फ्रंट (जीएमपीएफ) ने आज राज्य एवं केंद्र सरकार से इस महीने के अंत तक गोवा में खनन गतिविधियां पुनः प्रारंभ कराने की अपील की। इससे पहले गोवा के मुख्यमंत्री दिसंबर, 2019 के अंत तक गोवा में खनन पुनः प्रारंभ कराने की दिशा में समाधान निकालने का भरोसा दिला चुके हैं और जीएमपीएफ इस भरोसे पर सख्ती से आगे बढ़ने की मांग करता है, क्योंकि इस मामले में पहले ही बहुत देर हो चुकी है और इसका तत्काल समाधान जरूरी है। जैसा गोवा के मुख्यमंत्री ने सुनिश्चित किया है, उसके अनुरूप इस महीने के अंत तक यदि खनन की समस्या का समाधान नहीं निकलता है, तो जीएमपीएफ आजीविका हेतु खनन पर निर्भर लोगों के लिए वित्तीय पैकेज की मांग करता है।


जीएमपीएफ के प्रेसिडेंट पुती गांवकर ने कहा, "हम गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत से अपील करते हैं कि दिसंबर के अंत तक गोवा में खनन संकट खत्म करने के अपने भरोसे को पूरा करें। हाल ही में हमने कई विधायकों के बयानों के जरिये यह घोषणा सनी है कि गोवा में खनन को पुनः प्रारंभ करने के लिए सरकारी माइनिंग कॉरपोरेशन स्थापित करने की योजना है, लेकिन यह उचित समाधान नहीं लग रहा है, क्योंकि केंद्रीय खनन मंत्रालय ने कहा है कि जब तक माननीय सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अबोलिशन एक्ट को दी गई चुनौती पर फैसला नहीं आ जाता, राज्य सरकार के इस कदम से अधिकारों के टकराव की स्थिति बन सकती है। इसके अलावा सरकारी कॉरपोरेशन के पास खनन गतिविधियों के लिए पर्याप्त विशेषज्ञता नहीं होगी। हम राज्य में संजीवनी शुगर फैक्ट्री और केटीसी जैसे सरकारी निगमों की आर्थिक स्थिति भी देख चुके हैं। हम गोवा में खनन पुनः प्रारंभ कराने के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे के अनुरूप कानून में संशोधन या न्यायिक समाधान की अपनी मांग पर कायम हैं, जो गोवा में खनन के लिए लंबी अवधि का और एक टिकाऊ समाधान होगा। अगर सरकार इस महीने के आखिर तक खनन गतिविधियों को पुनः प्रारंभ कराने की अपनी समयसीमा का पालन करने में विफल रहती है, तो उसे निश्चित तौर पर अगले महीने से खनन पर निर्भर लोगों को विशेष राहत पैकेज देना चाहिए।"


श्री गांवकर ने आगे कहा, "अगर राज्य सरकार सरकारी खनन कॉरपोरेशन के माध्यम से माइनिंग डंप बेचना चाहती है, तो हम सरकार से अपील करते हैं कि पहले राज्य सरकार डंप हैंडलिंग के आधारभूत मूल्यांकन पर अध्ययन कराए, क्योंकि अभी राज्य के पास न किसी भूवैज्ञानिक की ओर से न ही किसी अन्य माध्यम से ऐसी कोई प्रमाणिक रिपोर्ट है, जिससे डंप में मौजूद खनिजों व अन्य मैटेरियल की कोई जानकारी मिलती होहम यह निवेदन भी करते हैं कि डंप से 1500 करोड़ रुपये की कमाई को लेकर कोई बयान देने से पूर्व सरकार खनन कॉरपोरेशन गठित कर खनन पर निर्भर सभी लोगों (खननकर्ता, ट्रकर, मशीनरी, बार्ज मालिक और अन्य) को उसके तहत रोजगार प्रदान करे।"


जीएमपीएफ ने गोवा सरकार से यह अपील भी की है कि पुनर्विचार याचिका दायर करने के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाए ताकि इस संबंध में विधायी संशोधन सुनिश्चित हो सके, जो राज्य में खनन की सतत व्यवस्था के लिए लंबी अवधि का समाधान होगा


गोवा में खनन जीवन यापन के दो प्रमुख स्रोतों में से एक है और खनन उद्योग पर पूरी तरह रोक लगाने से राज्य के 3,00,000 से ज्यादा लोगों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इस रोक के कारण खनन गतिविधियां पूरी तरह ई हैं और इससे गोवा को सलाना 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है। खनन क्षेत्र में काम करने वाले भारी कर्ज में दबे हुए हैं। इससे एक चिंताजनक स्थिति बन गई है, क्योंकि लोग बैंक लोन चुका पाने की हालत में नहीं हैं और कुछ लोगों के सामने यह स्थिति है कि उनका घर भी उनसे छिनने वाला है।