ग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेस (NTDs) के उन्मूलन  के लिए विश्व एनटीडी दिवस की शुरुआत

ग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेस (NTDs) के उन्मूलन  के लिए विश्व एनटीडी दिवस की शुरुआत
भोपाल /  30 जनवरी को पहला विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया, एनटीडी यानी ‘नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेस’ यानि भारत और इसके जैसे ट्रॉपिकल जलवायु वाले देशों में होने वाली खास बीमारियां जो उपेक्षित हैं, मतलब उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। 
30 जनवरी, वर्ष 2012 में लंदन में एनटीडी के विषय पर हुई ऐतिहासिक घोषणा की वर्षगाँठ है। उस घोषणा में विभिन क्षेत्रों के सहभागियों, देशों व समुदायों ने मिलकर एनटीडी पर कार्यवाही एवं निवेश हेतु महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। स्वास्थ्य एवं विकास के मुद्दों पर वैश्विक जागरुकता दिवस इसलिए मनाए जाते हैं ताकि उनसे सम्बंधित चुनौतियों और मुद्दों की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाए, जिनके समाधान के लिए आवश्यक कार्यवाही हो तथा उनके लिए निवेश बढ़े - उन देशों में एवं समुदायों में विशेषकर जहाँ स्वास्थ्य एवं विकास के मुद्दे बड़ी चुनौतियाँ हैं। विश्व एनटीडी दिवस के अवसर  पर न केवल ‘नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीजेस’ के विषय पर सामूहिक रूप से सहयोग-समर्थन हासिल करने में मदद मिलेगी बल्कि हर वर्ष इस दिवस के आयोजन के समय, इसी दिशा में कार्य कर रहे समस्त सहयोगियों को प्रेरात्मक रूप से अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने में सफलता भी मिलेगी। 
एनटीडी अधिकतर गरीब, कमजोर और हाशिये की आबादी को प्रभावित करता है किन्तु अन्य सामान्य लोग भी इससे अछूते नहीं है। इसमें शामिल है लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (स्थ्) (हाथीपांव), विसेरल लीशमैनियासिस (टस्) (काला-अजार), कुष्ठ रोग और डेंगू अन्य इत्यादि। इस बीमारी पर नियंत्रण पाए जाने के बावजूद, एनटीडी प्रभावित लोगों में पीड़ा, विकृति और विकलांगता का कारण बना हुआ है। दुनिया भर में छज्क् से प्रभावित रोगियों की संख्या सबसे ज्यादा है। दुनिया के 149 देशों में एनटीडी सबसे गरीब और हाशिए पर जी रहे समुदायों के 1.60 अरब लोगों को पीड़ित किए हुए हैं।
भारत में एनटीडी रोगियों का बोझ सबसे ज्यादा है और एनटीडी समूह में आने वाले प्रत्येक रोग के सबसे ज्यादा रोगी भारत में ही हैं। ऐसा नहीं है कि भारत में एनटीडी का बोझ सब जगहों पर बराबर है बल्कि ये बीमारियां शहरी व ग्रामीण गरीबी के इलाकों में ज्यादा देखी जाती है। भारत 2020 तक हाथीपांव और 2021 तक काला-अजार बीमारी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। एक्सेलरेटेड प्लान फॉर एलिमिनेशन ऑफ लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (।च्म्स्थ्) के अनुसार, भारत में 16 राज्यों (बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, असम, गुजरात, गोवा, कर्नाटक) और 5 संघीय क्षेत्रों के 256 जिलों में 63 करोड़ लोगों को हाथीपांव से खतरा है द्य बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में अनुमानित 16.5 करोड़ लोगों को काला-अजार बीमारी से खतरा है। 
30 जनवरी 2020 से एनटीडी से लड़ाई का निर्णायक वर्ष आरंभ हो गया है। इस विश्व एनटीडी दिवस पर इस विषय पर कार्यरत सिविल सोसाइटी, जनप्रतिनिधि, वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और नीति निर्माता एकजुट हुए हैं और उनका साझा ध्येय है- “रुठमंजछज्क्ेरू थ्वत हववक. थ्वत ंसस” (एनटीडी को परास्त करो - सभी के हित के लिए)। सम्मिलित प्रयासों के माध्यम से एक ऐसा सहयोगकारी परिवेश बनाया जाएगा जो समावेशी होगा, जहां विभिन्न समुदाय एकजुट होंगे और मिलकर आवाज बुलंद करेंगे ताकि आबादी का कोई हिस्सा एनटीडी की पीड़ा में छूट न जाए।
विश्व एनटीडी दिवस पर अधिक जानकारी के लिए वैबसाइट देखें :  https://worldntdday-org/