एनएसडीसी एशोस्पेस एवं एविएशन सेक्टर के लिए उम्मीदवारों को कर रही है तैयार

                                               


उद्योग जगत के साथ साझेदारी में एरोस्पेस और एविएशन सेक्टर में 72 जॉब रोल्स विकसित किए गए 



लखनऊ : एरोस्पेस एण्ड एविएशन सेक्टर स्किल काउन्सिल ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के सहयोग से एविएशन उद्योग के पांच उप क्षेत्रों में 72 जॉब रोल्स के लिए क्वालिफिकेशन पैक विकसित किए हैं। आने वाले समय में एरोस्पेस एवं एविएशन सेक्टर में मांग बढ़ने की उम्मीद है, ऐसे में उद्योग जगत की आवश्यकताओं के अनुसार कुशल कार्यबल की आपूर्ति को सुनिश्चित करना तथा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना इस पहल का मुख्य उद्देश्य है। भारतीय विमानन बाज़ार तीव्र गति से विकसित हो रहा है और एक अनुमान के मुताबिक यह इस साल तीसरा सबसे बड़ा और 2030 तक सबसे बड़ा बाजार होगा।


नई पहल के तहत पेश किए गए पाठयक्रमों में शामिल हैं- एयरलाईन केबिन क्रू, एयरलाईन कस्टमर सर्विस एक्ज़क्टिव, एयरलाईन कस्टमर सर्विस एक्जक्टिव, एयरलाईन रिजरवेशन एजेन्ट, एयरलाईन रैम्प एक्ज़क्टिव आदि। पिछले साल भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी अन्तर्राष्ट्रीय कौशल प्रतियोगिता- वर्ल्ड स्किल्स 2019, कज़ान, रूस में शानदार परफोर्मेन्स दिया। एयरक्राफ्ट मेंटीनेन्स कैटगरी में 23 वर्षीय आनंदा श्री गणेशा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।


उद्योग जगत के अनुमान क मुताबिक पता न के मुताबिक वर्तमान में भारत सिविल एविएशन बाज़ार में चौथे स्थान पर है, जहां इनबाउंड एवं आउटबाउंड यात्रियों की कुल संख्या 116.7 मिलियन है। 2035 तक भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर 0.8 से 1 मिलियन कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रोजगार देगा, इसक अलावा एयरपोर्ट, एयरलाईन्स, कार्गो, एमआरओ और ग्रुप हैण्डलिंग में 3 मिलियन अप्रत्यक्ष रोजगार भी प्रदान करेगा।


इन क्षेत्रों में कुशल मैनपावर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एनएसडीसी 6 फरवरी को 11 वें डेफ एक्स्पो 2020 के दौरान एक सेमिनार का आयोजन भी कर रहा है। डेफ एक्स्पो का आयोजन लखनऊ में 5 से 9 फरवरी 2020 के बीच किया जाएगा, यह मंच उद्योग जगत के सभी हितधारकों को विभिन्न मुददों, समाधानों और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर चर्चा का प्लेटफॉर्म प्रदान करेगा। सेमिनार के माध्यम से एनएसडीसी कौशल से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए मंच प्रदान करेगा, जहां एरोस्पेस, एविएशन और डीफेन्स सेक्टरों में कौशल की दृष्टि से मौजूद खामियों और मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। क्षेत्रों के तीव्र डिजिटलीकरण और देश में कुशल कार्यबल की उपलब्धता पर भी चर्चा की जाएगी।


इस अवसर पर एनएसडीसी के साथ एएएसएससी की साझेदारी, एयर इण्डिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आरपीएल पर रोशनी डाली जाएगी, जिसके तहत अब तक 3179 उम्मीदवारों का मूल्यांकन उन्हें प्रमाणपत्र दिए गए हैं। इसके अलावा यह परियोजना 13 जॉब रोल्स के लिए 6700 उम्मीदवारों का मूल्यांकन एवं प्रमाणीकरण भी करेगी। एविएशन स्किलिंग के लिए चण्डीगढ़ में मल्टी-स्किल डेवलपमेन्ट सेंटर भी स्थापित किए गए हैं। जो सीएसआर योजना के तहत 3 सालों में तकरीबन 2400 युवाओं को प्रशिक्षित करेंगे। इस पहल के लिए निर्धारित जॉब रोल्स हैं- एयरलाईन कस्टमर सर्विस एक्जक्टिव, एयरलाईन सिक्योरिटी एक्जक्टिव, एयरलाईन रिजरवेशन एजेन्ट, एयरलाईन फ्लाईट लोड कंट्रोलर, एयरलाईन कार्गो असिस्टेन्ट और एयरलाईन रैम्प एक्ज़क्टिव।।


सीएसआईआर के तहत नेशनल एरोस्पेस लैबोरेटरीज ने एक एरोस्पेस कौशल विकास केन्द्र का उदघाटन भी किया जो 1 जून से बेंगलुरू में डिज़झान एवं डेवलपमेन्ट, मैनुफैक्चरिंग असेम्बली उप-सेक्टरों में सेवाएं प्रदान करेगा। एएएसएससी से संबद्ध ये सेंटर एनएसक्यूएफ के तहत अल्पकालिक कौशल प्रमाणीकरण पाठ्यक्रम पेश करेंगे। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने आरपीएल के तहत प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। एरोस्पेस स्ट्रक्चरल फिटर, एरोस्पेस सीएनसी मैकिनिस्ट, एरोस्पेस कम्पोज़िट टेकनिशियन और एरोस्पेस कन्वेंशनल मैकिनिस्ट के जॉब रोल्स के लिए 230 उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर उन्हें प्रमाणपत्र दिए गए


एएएसएससी ने एयरलाईन सिक्योरिटी एक्ज़क्टिव, एयरक्राफ्ट पावरप्लांट टेकनिशियन, एयरक्राफ्ट इन्स्ट्रमेन्ट टेकनिशियन के जॉब रोल्स के लिए एविएशन और एमआरओ उप सेक्टरों के तहत भारतीय नेवी कर्मचारियों का मूल्यांकन भी किया है। कुल 472 उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर सितम्बर 2019 तक उन्हें प्रमाणपत्र दिए जा चुके हैं।


भारत सशक्त आर्थिक विकास की दिशा में बढ़ रहा है, ऐसे में कुशल कार्यबल की उपलब्धता बेहद अनिवार्य है। एनएसडीसी अपने प्रशिक्षण साझेदारों के सहयोग से विभिन्न कौशल प्रोग्रामों और मोड्यूल्स के जरिए मौजूदा उम्मीदवारों को प्रशिक्षित कर रही है। प्रशिक्षण साझेदार उद्योग जगत के अनुकूल पाठ्यक्रमों पर आधारित कोशल प्रोग्रामों का संचालन करते हैं। इनमें 3 से 6 माह के प्रोग्राम शामिल हैं। उद्योग एवं अकादमिक जगत के बीच के अंतर को दूर करना तथा कार्यबल को उद्योग की आवश्यकतानुसार कुशल बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है