माननीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया कुष्ठ उन्मूलन के लिए डब्ल्यूएचओ के गुडविल अंबेसडर योहेई सासाकावा द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन

'नो मैटर वेयर द जर्नी टेस मो : वन मैन्स क्वेस्ट फॉर ए लेप्रोसी फ्री वर्ल्ड' शीर्षक से लिखी यह किताब उनके सफर और कुष्ठ के विरुद्ध लड़ाई के आधुनिक इतिहास का विस्तृत ब्योरा देती है


नई दिल्ली : माननीय विदश मंत्री श्री एस. जयशकर ने हाल ही में कुष्ठ उन्मूलन के लिए डल्यूएचओ के गुडविल अंबेसडर श्री योहेई सासाकावा द्वारा लिखित पुस्तक 'नो मैटर वेयर द जर्नी टेक्स मी : वन मैन्स क्वेस्ट फॉर ए लेप्रोसी फ्री वर्ल्ड' का विमोचर किया। यह किताब कुष्ठ उन्मूलन के ग्लोबल अंबेसडर के रूप में श्री सासाकावा के सफर के बारे में है। इस मौके पर 15वें वित्त आयोग कमिश्नर श्री एन. के. सिंह और सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के चेयरपर्सन श्री तरुण दास भी उपस्थित रहे।



अपनी पुस्तक में श्री सासाकावा ने बताया है कि कैसे युवा उम्र में ही उनके पिता के मन में कुष्ठ उन्मूलन के प्रति सजगता था और उन्हें गांव की ही एक सुंदर युवती से प्रेम हो गया था। तभी एक दिन वह युवती कहीं गायब हो गई। बाद में उन्हें पता चला कि उस युवती को कुष्ठ हो गया था और इसी कारण से उसे समाज से दूर अन्य कुष्ठ पीड़ितों की बस्ती में भेज दिया गया था। इस घटना ने उनके मन में कुष्ठ को जड़ से मिटाने का संकल्प पैदा किया और श्री योहेई सासाकावा ने पिता के इस लक्ष्य को ही अपना सपना बना लिया।


                                               


 इस अवसर पर श्री जयशंकर ने कहा, "इस विशेष मौके पर पुस्तक के अनावरण का हिस्सा बनने का मौका देने के लिए मैं श्री सासाकावा का Where the आभारी हूं। कुष्ठ की चुनौती का महात्मा गांधी के जीवन से गहरा संबंध है। यह किताब श्री सासाकावा के सफर का प्रस्तुतिकरण है और इस बात की । व्याख्या है कि कैसे दुनिया में उन्होंने कई लोगों का जीवन बदलने में भूमिका निभाई है। उनका यह सफर आपको ठहरने और यह सोचने पर मजबूर करता One Man's Quest for a है कि कुष्ठ पीड़ितों को कितनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। साथ Leprosy-Free World हो यह आपको विभिन्न कदमों के जरिये ऐसे लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए साथ आने को प्रेरित करता है। छुआछूत को खत्म करना ऐसा ही एक कदम हैकुष्ठ एक वैश्विक चुनौती है और श्री सासाकावा ने खुद को इसके उन्मूलन के लिए समर्पित कर दिया है। वह अपने आप में एक प्रेरणा हैं और एक देश के रूप में हम उनके योगदान का सम्मान करते हैं।"


इस मौके पर उपस्थित रहे श्री तरुण दास ने कहा, "श्री योहेई सासाकावा की लिखी पुस्तक के अनावरण के मौके पर उपस्थित होना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैंने श्री सासाकावा के साथ काम किया है और इस दिशा में उनकी प्रतिबद्धता का प्रशंसक हूं। यह किताब उनके सफर की झलक है और कुष्ठ पीड़ितों ही नहीं बल्कि उनके परिजनों के जीवन में भी बदलाव का कारक बनेगी। यह किताब लोगों को इस अभियान से जुड़ने और कुष्ठ पीड़ितों के प्रति फैले भेदभाव को खत्म करने में मददगार होगी।"


इस मौके पर श्री योहेई सासाकावा ने कहा, "मैं खश हूं कि मेरी किताब का भारत में विमोचन हो रहा है। यह किताब कुष्ठ पीड़ितों एवं उनके परिवार के प्रति फैल भेदभाव के खिलाफ मेरे सफर की व्याख्या है। कुष्ठ के प्रति जानकारी और जागरूकता बहुत कम है, जिससे इसको लेकर कई भ्रम फैले हुए हैं। भारत में इस समय एनएलईपी के रूप म कुष्ठ उन्मूलन का दुनिया का सबसे बड़ा अभियान चल रहा है।"


समीक्षाएं :


ईस्ट टिमोर ने 2010 में स्वास्थ्य समस्या के तौर पर कुष्ठ से मुक्ति प्राप्त कर ली थी। हम श्री योहेई सासाकावा के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने कई बार हमारे देश का दौरा किया और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों को इस बीमारी पर फोकस करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा उन्हें भरोसा दिलाया कि इसका उन्मूलन संभव है। वह एक शानदार व्यक्ति हैं जिन्होंने इस मानवीय कार्य के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। यह किताब आपको बताती है कि वह वास्तव में किस तरह के व्यक्तित्व हैं और उन्हें किसने इस कार्य के लिए प्रेरित किया। मैं दुनिया के कुछ सबसे पीड़ित लोगों की स्थिति को सुधारने की दिशा में उनकी प्रतिबद्धता व समर्पण की प्रशंसा करता हूं।


जोस रामोस होर्ता, 1996 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और ईस्ट टिमोर के पूर्व राष्ट्रपति


सासाकावा की किताब 'नो मैटर वेयर द जर्नी टेक्स मी' इस बीमारी और इसको लेकर फैले छुआछुत दोनों से पिछले करीब 60 साल से चल रही उनकी जंग का दस्तावेज है। उल्लेखनीय कार्यों के बाद भी दुनियाभर में करीब 30 लाख लोग कुष्ठ के कारण अपंगता के शिकार हैं। यह किताब दुनिया को इस बीमारी से मुक्त करने की अपील करती है।


- एन एस, नेचर


श्री योहेई सासाकावा निप्पोन फाउंडेशन, जापान के चेयरमैन हैं और सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन (एस-आइएलएफ) के सूत्रधार हैं। श्री सासाकावा ने अपने पेशेवर जीवन का बड़ा हिस्सा न केवल जापान में बल्कि पूरी दुनिया में कुष्ठ के दंश को मिटाने के अभियान में समर्पित कर दिया। उनके फाउंडेशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ और कई अन्य देशों की सरकारों के साथ मिलकर इस बीमारी का इलाज खोलने और दूरदराज के क्षेत्रों तक दवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने की दिशा में काम किया है। उनके प्रयासों से वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय नतीजे मिले हैं। आज ज्यादा से ज्यादा देश इस बीमारी के पूर्ण उन्मूलन के कगार पर हैं और धरती से इस सदियों पुरानी बीमारी को मिटाने का रास्ता तैयार हुआ है।