प्रेम और श्रृंगार की थिरकन का फागुनी रोमांच होगा- 'होरी हो ब्रजराज'

प्रेम और श्रृंगार की थिरकन का फागुनी रोमांच होगा- 'होरी हो ब्रजराज'



भोपाल / रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के रचनात्मक उपक्रम टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय की साझा पहल पर लोक रंगों में छलकती फागुनी छवियों का सुंदर ताना-बाना सजीव होगापरंपरा के खनकते गीत-संगीत की रंगमयी-प्रेमपगी बौछारों और लोक जीवन के सजीले अहसासों का यह अनूठा रूपक 'होरी हो ब्रजराज' 06 मार्च की शाम 6.30 बजे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर साकार होगावनमाली सृजन पीठ तथा आईसेक्ट स्टुडियो के सहयोग से आयोजित इस दृश्य-श्रव्य प्रस्तुति की परिकल्पना कवि-कथाकार संतोष चौबे ने की है। नृत्य-निर्देशन और संयोजन प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना क्षमा मालवीय का है। गीत, संगीत, अभिनय और प्रकाश से सुसज्जित लगभग डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति का सूत्र-संचालन कला समीक्षक विनय उपाध्याय करेंगे। प्रकाश परिकल्पना अनूप जोशी 'बंटी' की है। ब्रज और मैनपुरी लोक अंचल में सदियों से प्रचलित होली गीतों का संगीत संयोजन संतोष कौशिक और राजू राव ने किया है। 'होरी हो ब्रजराज' के मंचन को पहले भी भोपाल तथा अन्य शहरों के कला प्रेमियों ने बेहद सराहा है। इस प्रस्तुति में दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क है