एफआरएआई ने प्रधानमंत्री से लॉकडाउन के दौरान छोटी खुदरा दुकानों को  संचालन की अनुमति देने की अपील की


एफआरएआई ने प्रधानमंत्री से लॉकडाउन के दौरान छोटी खुदरा दुकानों को  संचालन की अनुमति देने की अपील की


नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) देशभर के चार करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दुकानदारों का प्रतिनिधि संगठन है और इसके सदस्य संगठनों के तौर पर उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम के कुल 34 रिटेल एसोसिएशन जुड़े हैं। हम देश के सबसे गरीब तबके के हितों की रक्षा के लिए कार्यरत हैं और उनके रोजगार के अवसरों पर प्रभाव डालने वाले मुददे उठाते हैं, साथ ही अपनी आवाज उठाने में अक्षम वर्ग की आवाज को सरकार के समक्ष लाने में मदद करते हैं। एफआरएआई के सदस्य आसपास के आम लोगों की रोजाना की जरूरत की चीजों जैसे बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक, मिनरल वाटर, सिगरेट, बीड़ी, पान आदि की बिक्री कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इन जरूरी चीजों की बिक्री से इन छोटे दुकानदारों को होने वाला मुनाफा बमुश्किल 15,000 रुपया प्रतिमाह तक पहुंचता है, जो उनके परिवार के सदस्यों के लिए रोज दो वक्त के भोजन के लिए ही पर्याप्त हो पाता है।


कोरोना वायरस के कारण मौजूदा लॉकडाउन में इन दुकानों के बंद होने से इन छोटे दुकानदारों की रोजाना की आय बिलकुल रुक गई है।


इस मुददे पर फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट श्री राम आसरे मिश्रा ने कहा, "हम बहुत विनम्रता के साथ माननीय प्रधानमंत्री से अपील करते हैं कि हमारे गरीब और असहाय सदस्यों के सामने आ रही मुश्किलों को महसूस करें और उन्हें तत्काल अपनी दुकानें खोलने की अनुमति प्रदान करें। हम माननीय प्रधानमंत्री से यह अपील करते हैं कि सरकार की ओर से घोषित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत इन छोटे दुकानदारों की रोजाना की आय में हुए नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल राहत पैकेज का भी एलान करें। हमें पूरा भरोसा है कि यह गरीब हितैषी सरकार मानवता के आधार पर हमारी याचिका पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।"


श्री मिश्रा ने आगे कहा, "जब जरूरी सामान बेचने वाली बड़ी ग्रॉसरी की दुकानों को लॉकडाउन के दौरान परिचालन की अनुमति है, तब रोजाना की जरूरत वाली उसी तरह की वस्तुएं बेचने वाले हमारे छोटे दुकानदार भाइयों को उनकी आजीविका कमाने से वंचित क्यों किया गया है।"


मार्च से जून का महीना छोटे दुकानदारों के लिए अतिरिक्त कमाई और बचत के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि के दौरान उनके दुकानों पर बिक्री बढ़ जाती है। दुर्भाग्य से यह लॉकडाउन इन्हीं महीनों के दौरान लगाया गया है और ये छोटे दुकानदार इस अवधि में कुछ अतिरिक्त कमाई की उम्मीद पहले ही छोड़ चुके हैं। ये छोटे दुकानदार और उनके परिवार इस समय बेहद गरीबी की स्थिति और जीवन को चलाते रहने की चुनौती से जूझ रहे हैंइन गरीब दुकानदारों की पूरी पूंजी उन आवश्यक वस्तुओं को खरीदने में लगी हुई है, जो लॉकडाउन के कारण उनकी दुकानों


इन गरीब दुकानदारों की पूरी पूंजी उन आवश्यक वस्तुओं को खरीदने में लगी हुई है, जो लॉकडाउन के कारण उनकी दुकानों में बिना बिके पड़ी हैं। अब उन्हें अपने परिवार के सदस्यों की जरूरत के लिए भोजन की व्यवस्था करने में अपनी जमापूंजी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। हमारे ज्यादातर सदस्य अपनी पूरी बचत गंवा चुके हैं और अब उनके सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है।