गोवा का कर्ज पहले ही 20,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच चुका है, पिछले दो साल से खनन गतिविधियां रुकी होने से 7,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है
नई दिल्ली : गोवा में खनिज निर्यात कारोबार को संवर्धित करने, सहयोग देने, संरक्षित करने और बढ़ाने की दिशा में समर्पित उद्योग संगठन गोवा मिनरल ओर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (जीएमओईए) ने केंद्र सरकार से राज्य में खनन गतिविधियां पुनः प्रारंभ कराने की अपील की है। यहां 16 मार्च, 2020 को खनन गतिविधियों को बंद हुए दुर्भाग्यपूर्ण दो साल बीत चुके हैं।
देश में हाल में कोरोना वायरस महामारी के कारण गोवा में अर्थव्यवस्था व रोजगार की स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है, क्योंकि यहां आने वाले पर्यटक अचानक कम हो गए हैं।
राज्य के हालिया बजट आंकड़ों के मुताबिक, गोवा का कर्ज 20,000 करोड़ रुपये के खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका हैकर्ज में इस वृद्धि को खनन गतिविधियों के रुकने से भी जोड़ा जा सकता है, क्योंकि पिछले दो साल में खनन गतिविधियां रुकने से 7,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है।
पहले से ही नुकसान में चल रहे राज्य के पर्यटन क्षेत्र को अगली तीन तिमाहियों तक पर्यटकों की संख्या में कमी का अनुमान है। पर्यटन में कमी से राज्य को अतिरिक्त नुकसान होगा, साथ ही करीब 75,000 लोगों का रोजगार भी छिन जाएगामहामारी के कारण राज्य में कई उद्योग भी बंद हो रहे हैं।
महामारी के कारण राज्य में कई उद्योग भी बंद हो रहे हैं।
इस सब से राज्य के राजकोष पर बहुत दबाव पड़ रहा है, जहां आय का कोई स्रोत नहीं दिख रहा है, जिससे उद्योगों को किसी तरह के समर्थन की उम्मीद की जा सके
खनन गतिविधियां रुक जाने से डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (डीएमएफ) में या गोवा आयरन ओर परमानेंट फंड (जीआईओपीएफ) में भी कोई योगदान या प्रावधान नहीं हो सका है, जिससे किसी जनहित की परियोजना का खर्च वहन कर पाने की इन फंड की वित्तीय क्षमता भी प्रभावित हुई है।
इन सबके साथ ही मिनरल फाउंडेशन ऑफ गोवा की ओर से की जाने वाली कई पहल जैसे संबंधित लोगों की क्षमता बढ़ाना, स्वास्थ्य शिविर लगाना, महिला स्वयं सहायता समूहों को मदद करना, जल स्रोतों को साफ करना, विभिन्न समुदायों की बेहतरी के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करना, समाज के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम आदि भी संकट में आ गए हैं, क्योंकि इन सबके लिए फंडिंग गोवा का खनन उद्योग ही करता था।
इन सबके साथ-साथ गोवा की प्रतिष्ठा भी खराब हुई है कि यह राज्य सतत उद्योग के लिए अच्छी जगह नहीं है।
जीएमओईए के प्रेसिडेंट श्री अंबर टिंब्लो ने कहा, “इस उद्योग ने हमेशा नियमों का पालन किया है। खनन के मामले में गोवा भारत का मॉडल राज्य हैहमारे उद्योग की प्रतिष्ठा को कुछ निहित स्वार्थों वाले समूहों द्वारा लगातार लगाए गए झूठे और बेबुनियाद आरोपों के कारण ठेस पहुंची। पिछले 96 महीनों में से 70 महीने काम करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद भी इस उद्योग ने स्टांप ड्यूटी, लैंड रेवेन्यू कंवर्जन पेमेंट के तौर पर 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान किया हैडीएमएफ और जीआईओपीएफ जैसे सरकारी फंडों के लिए भी 700 करोड़ रुपये का भारी-भरकम प्रोविजन किया है और 1 अरब डॉलर से ज्यादा का फॉरेन एक्सचेंज किया है। यह सब तब है, जबकि पिछले 7 साल में 80 प्रतिशत अवधि में हमें काम नहीं करने दिया गया। गोवा फाउंडेशन इस वक्त भी महामारी से लड़ाई में और लोगों का जीवन बचाने के लिए डीएमएफ और जीआईओपीएफ के पैसों के इस्तेमाल पर आपत्ति जता रहा है, जो उनके असली उद्देश्य और एजेंडा को लेकर सवाल खड़े करता है। ये लोग लगातार नुकसान पहुंचाने वाली बातों का ही समर्थन कर रहे हैं, जिससे निश्चित तौर पर गोवा के किसी भी सामाजिक-आर्थिक वर्ग का हित नहीं हो रहा है। इन फंड का इस्तेमाल सभी गोवावासियों के लाभ के लिए हो रहा है, विशेषतौर इसलिए क्योंकि समुदायों के संरक्षण के लिए लोगों का स्वास्थ्य एवं कल्याण किसी भी बहस से परे की आवश्यकता है "
मौजूदा समय में पर्यटन उद्योग को तब तक पुनः प्रारंभ करना संभव नहीं है, जब तक कि दुनियाभर में महामारी से पार नहीं पा लिया जाए। वहीं, जहां तक खनन की बात है, इसे कुछ सुरक्षा मानकों के साथ इस लॉकडाउन के दौर में भी शुरू किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सेफ्टी ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार भी किया है, जो इस समय पूरे देश में प्रभावी है।
गोवा में खनन को तत्काल शुरू किया जा सकता है, क्योंकि पूरा कार्यबल व इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार है और वैधानिक मंजूरियां पहले से ही मिली हुई हैं
यह इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि ज्यादातर खनन कंपनियां केंद्र एवं राज्य की ओर से जारी विभिन्न आदेशों के अनुरूप सुरक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़े मानकों का पूरा पालन कर रही हैं।
यह इसलिए संभव है क्योंकि गोवा में खनन उद्योग अपने आप में एक ही ओर सिमटा हुआ है और स्थानीय जलमार्ग और बंदरगाह से इसकी दूरी भी बहुत कम है और बिना किसी अन्य राज्य की सीमा पार किए वहां तक पहुंचा जा सकता है।
30 जनवरी, 2020 के अपने नवीनतम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में खनन किए हुए स्टॉक के परिवहन को मंजूरी दे दी है। हालांकि अब भी सबसे अहम मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आना बाकी है।
प्रति यूनिट रोजगार सृजन के लिहाज से भारत में खनन उद्योग तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है और क्षेत्रीय जीडीपी में इसका योगदान भी बढ़ रहा है। दुर्भाग्य ही है कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की सितंबर-दिसंबर, 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, 34.5 प्रतिशत के साथ गोवा में बेरोजगारी दर देश में सबसे ज्यादा है, जहां 1,73,000 बेरोजगार युवा हैं। यह पिछले आठ साल में गतिविधियों के निलंबित रहने का ही सीधा नतीजा है।
इस महामारी की स्थिति में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट अवश्यंभावी है, ऐसे में गोवा में खनन गतिविधियों को शुरू करना तत्काल जरूरी है, जिससे राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके