एनसीएईआर (NCAER) ने भारत में लैंड गवर्नेंस को मजबूत करने के उद्देश्य से जारी किया भारत का पहला लैंड रिकार्ड्स और सर्विसेज इंडेक्स

2019-20 में राज्यों की लैंड रिकार्ड्स और सर्विसेज इंडेक्स रैंकिंग में मध्य प्रदेश शीर्ष पर, ओडिशा दूसरे और महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर


                         


नई दिल्ली  : नेशनल काउं‍सिल ऑफ़ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च, NCAER ने गुरुवार, 27 फरवरी, 2020 को एक नया NCAER लैंड रिकार्ड्स ऐंड सर्विसेज इंडेक्स (N-LRSI 2020) जारी किया है. N-LRSI 2020 में भारत के राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों (लैंड रिकार्ड्स) के डिजिटलीकरण और इन भूमि अभिलेखों की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया गया है. N-LRSI 2020 में मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और तमिलनाडु को शीर्ष राज्यों का दर्जा दिया गया है.


N-LRSI 2019 में आरम्भ की गयी NCAER लैंड पालिसी इनिशिएटिव (NLPI) का अभिन्न हिस्सा है, जिसका लक्ष्य भूमि से सम्बंधित आर्थिक अनुसंधान, नीतिगत विश्लेषण और व्यवस्थित आंकड़ों में अंतर समाप्त करना है. आर्थिक वृद्धि करने और गरीबी कम करने के लिए भूमि की सुलभता एक महत्वपूर्ण घटक है. सरकार, उद्योग, और नागरिक इस संपदा का प्रभावकारी प्रयोग करने में सक्षम हो सकें और विवादों को कम किया जा सके, इसलिए भरोसेमंद भूमि और संपत्ति के रिकार्ड्स की सुलभता ज़रूरी है. विगत वर्षों में विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने भूमि अभिलेखों को डिजिटल रूपमें नागरिकों को उपलब्ध कराने में खासी प्रगति की है. N-LRSI का लक्ष्य इस प्रगति का विस्तार और मौजूदा कमी को समझना तथा प्रत्येक राज्य में भूमि अभिलेखों में सुधार के उपायों को चिन्हित करना है.


वर्ष 2020 का N-LRSI 2019-20 में भूमि अभिलेखों की आपूर्ति के दो पहलुओं पर संकलित डाटा पर आधारित है. ये दो पहलू हैं - भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की सीमा और इन भूमि अभिलेखों की गुणवत्ता. प्रथम पहलू, का उद्देश्य यह आंकलन करना है कि क्या किसी राज्य ने अपना सम्पूर्ण भूमि अभिलेख डिजिटल रूप में नागरिकों को उपलब्ध करा दिया है या नहीं. इसमें तीन आयामों पर गौर किया गया है - भूमि अभिलेखों का मूल पाठ (जिसे रिकार्ड्स ऑफ़ राइट्स भी कहा जाता है), भूमि अभिलेखों से सम्बंधित आधिकारिक नक्शा (जिसे कैडेस्ट्रल मैप यानी भूसंपत्ति नक्शा भी कहा जाता है), और संपत्ति निबंधन प्रक्रिया (प्रॉपर्टी रजिस्‍ट्रेशन प्रोसेस).


इंडेक्स के दूसरे पहलू का उद्देश्य यह आंकलन करना है कि क्या भूमि अभिलेख व्यापक और विश्वसनीय हैं या नहीं - क्या बिक्री होते ही मालिकाना विवरण अपडेट किया जाता है, संयुक्त मिलकियत की सीमा, भूमि उपयोग का प्रकार, रिकॉर्ड में और नक़्शे पर भूमि का क्षेत्रफल, और क्या ऋणभार (संपत्ति पर बंधक, अदालती मुकदमा जैसे अन्य दावे) रिकॉर्ड किया जा रहा है या नहीं. इन सारे पहलुओं का भूमि संबंधी विवादों से और भूमि के सौदे को पूरा करने और कानूनी रूप से रिकॉर्ड करने में आसानी तथा उसके बाद सुविधाजनक सुलभता के साथ गहरा नाता होता है.


अपने शुरुआती संबोधन में डॉ. शेखर शाह, महानिदेशक, NCAER ने कहा कि, “N-LRSI समय पर किया गया अग्रणी कार्य है और यह पहले से ही केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर नीति निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. यह इंडेक्स कम-से-कम तीन उद्देश्य पूरे कर सकता है. पहला, यह जमीनी वास्तविकताओं को दर्शाने वाले और कार्यकुशल टाइटल सेवाओं द्वारा निकाले गए सुरक्षित, सुनिश्चित भूमि अभिलेखों का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्य कार्य योजना बनाने में मददगार होगा. दूसरा, N-LRSI के राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों के तुलनात्मक आंकलन से राज्यों के लिए सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों के साथ एक-दूसरे से सीखना संभव हो सकेगा कि उन राज्यों द्वारा उत्तम, विश्वसनीय, सुलभ डिजिटल भूमि अभिलेखों की आपूर्ति में किस प्रकार सुधार किया गया है. तीसरा, केंद्र सरकार का N-LRSI उपयोग उन राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों के पुरस्कृत और सम्मानित करने के लिए कर सकती है, जिन राज्यों ने इंडेक्स पर बेहतर प्रदर्शन किया है. इससे अन्य राज्यों को अपनी-अपनी स्थिति सुधारने की प्रेरणा मिलेगी.”


N-LRSI 2020 को पेश करते हुए प्रोजेक्ट को-लीडर श्री दीपक सानन, हिमाचल प्रदेश सरकार के पूर्व अतिरिक्त मुख्‍य सचिव (रेवेन्‍यू) और वर्तमान में NCAER के सीनियर एडवाइजर, ने कहा कि, “N-LRSI 2020 को जारी करने का इससे अच्छा और कोई अवसर नहीं हो सकता था. भारतीय अर्थव्यवस्था में 2018 और 2019 में नाटकीय रूप से मंदी आयी है. भूमि अधिग्रहण करने और होल्ड करने, और भूमि तथा संपत्ति के प्रयोग और सौदा करने की क्षमता में सुधार की कमी ऐसी बड़ी बाधाएं हैं जिनसे निवेश करने और गरीबी कम करने, दोनों में रुकावट आती है. विश्व बैंक के इज ऑफ़ डूईंग बिज़नस इंडेक्स पर भारत की स्थिति में शानदार सुधार के विपरीत भूमि, संपत्ति के निबंधन में आसानी से सम्बंधित इंडेक्स के पहलू पर स्थिति बेहद खराब है.”


NCAER प्रॉपर्टी राइट्स रिसर्च कंसोर्टियम (पीआरआरएन) का अंग है. पीआरआरएन ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया के उदार ग्रांट्स द्वारा समर्थित एक मल्टी-इंस्टिट्यूशन रिसर्च कंसोर्टियम है. पीआरआरएन भूमि, हाउसिंग और अन्य संपदाओं के अधिकार पर अनुसंधान और साक्ष्य खड़ा करने पर फोकस कर रहा है. नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर पब्लिक फाइनेंस ऐंड पालिसी (सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च की भूमि अधिकार पहल) और ब्रूकिंग्स इंडिया वर्तमान में इस नेटवर्क के अन्य सदस्य हैं.


N-LRSI जैसे सूचकांकों और अनुसंधान के महत्व एवं आवश्यकता को लेकर सुश्री शिल्पा कुमार, इन्वेस्टमेंट पार्टनर, ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया ने कहा कि, “हमारा लक्ष्य संपत्ति और भूमि अधिकारों पर ज्यादा फोकस करने में अग्रणी नीति संगठनों की मदद करना है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें अपेक्षाकृत कम अनुसंधान हुआ है, किन्तु वे व्यक्तिगत एवं सामाजित खुशहाली के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. यह देखते हुए कि भारत में पारिवारिक परिसंपत्तियों में 77 प्रतिशत हिस्सा भूमि और हाउसिंग का है, हम आशा करते हैं कि इस तरह के रिसर्च से अधिक प्रभावकारी नीति निर्धारण के लिए बेहतर जानकारी मिल सकती है.”


N-LRSI के लिए अगले कदम के बारे में चर्चा करते हुए, प्रोजेक्ट को-लीडर प्रोफेसर देवेन्द्र बी गुप्ता ने कहा कि, “N-LRSI को तैयार करने के पहले राउंड में मुख्यतः 2019-20 के दौरान सप्लाई-साइड डाटा का प्रयोग किया गया, जिसमें डिजिटलीकरण की सीमा और नागरिकों को दी गयी भूमि अभिलेख सेवाओं का मूल्यांकन करने के लिए नागरिकों के लिए सुलभता की माप हेतु प्रॉक्सी सम्मिलित थे. दूसरे राउंड में 2020-21 के डाटा के प्रयोग के लिए, नागरिकों के डिमांड-साइड सर्वेक्षण को जोड़ा जाएगा ताकि डिजिटल भूमि अभिलेखों और सम्बंधित सेवाओं का प्रयोग करने में जन जागरूकता और संतुष्टि का स्तर आंका जा सके.”


 NCAER में लॉन्च होने के अलावा, N-LRSI  2 से 4 मार्च, 2020 तक नई दिल्ली में होने वाले चौथे इंडिया लैंड ऐंड डेवलपमेंट कांफ्रेंस 2020 (ILDC 2020) में भी फीचर करेगा, जिसमें सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले राज्यों को सम्मानित किया जाएगा और उनके प्रदर्शन पर बतौर शिक्षण साधन के रूप में चर्चा की जायेगी.


N-LRSI 2020 के निष्कर्ष


60-75 पॉइंट स्कोर करके मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, और तमिलनाडु ने N-LRSI पर पाँच बेस्ट परफॉरमेंस वाले राज्यों में अपना स्थान हासिल किया. पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, और उत्तर प्रदेश वे छः राज्य हैं जो 50-60 पॉइंट केटेगरी में हैं.