तम्बाकू कराधान में एनसीसीडी वृद्धि जीएसटी के आधारभूत सिद्धांतों के विरुद्ध है

                                           


                एफएआईएफए ने सरकार से आजीविका की रक्षा की गुहार लगाई


नई दिल्ली : फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर्स एसोसिएशन (एफएआईएफए) ने केंद्रीय आम बजट में सिगरेट पर एनसीसीडी वृद्धि के प्रस्ताव पर सवाल उठाते हुए इससे भारत के एफसीवी तंबाकू उत्पादक किसानों पर दुष्प्रभाव पड़ने की बात कही है, क्योंकि इससे तस्करी कर लाए हुए सिगरेट को और ज्यादा प्रोत्साहन मिलेगा।


करों में वृद्धि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बेमौसम बरसात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे एफसीवी तंबाकू उत्पादक किसानों के लिए बड़ा झटका होगा।


पिछले कुछ महीनों (अक्टूबर, 2019 से 30 जनवरी, 2020) के दौरान कई अनुरोध एवं प्रतिनिधि मुलाकातों के जरिये हमारी वास्तविक स्थिति से अवगत कराए जाने के बाद हम किसी भी हाल में सरकार की ओर से एनसीसीडी में ऐसी किसी बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं कर रहे थे। इन प्रतिनिधि मुलाकातों में फसल नष्ट हो जाने और साथ ही तस्करी कर लाए हुए एवं अवैध सिगरेट बाजार के कारण एफसीवी तंबाकू किसानों को होने वाले नुकसान तथा किसानों की संघर्षपूर्ण स्थिति की जमीनी हकीकत से सरकार को अवगत कराया गया था।


यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वित्त मंत्रालय ने वित्त विभाग, नई दिल्ली में 'तस्करी कर लाए हुए एवं अवैध सिगरेट बाजार तथा इससे सरकार व संपूर्ण एफसीवी किसानों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव' के नाम से एफएआईएफए द्वारा किसानों की ओर से व्यक्तिगत रूप से किए गए अनुरोध का संज्ञान भी नहीं लिया।


करीब 47000 करोड़ रुपये के योगदान के जरिये सालाना राजस्व में बड़ी भूमिका निभाने वाले एफसीवी तंबाकू किसानों को न्यूनतम सम्मान देते हुए उन्हें मिलने का समय भी नहीं दिया गया। टबैको बोर्ड के चेयरमैन और किसान सदस्यों ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं कर्नाटक में कृषि क्षेत्रों का दौरा किया था और उस दौरान किसानों से संघर्ष की वास्तविक स्थिति से दो-चार हुए थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके हाथ बंधे रहे और किसानों के बारंबार अनुरोध भी व्यर्थ गए। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि गरीब किसानों को अनदेखी की गई। वैध तरीके से कर अदा करने वाला एफसीवी किसान आखिर कर भी क्या सकता है? एफसीवी तंबाकू किसानों के लिए यह प्राणघातक स्थिति है कि जब सरकार पर भरोसे और निभरता का पर्याप्त नतीजा नहीं मिल पाता है। वहीं बीड़ी उद्योग जैसा असंगठित क्षेत्र कर के दबाव से मुक्त है


 * सिगरेट पर ऊंचे और लगातार बढ़ते टैक्स से कर चोरी को बढ़ावा मिलता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत मे अवैध सिगरेट का कारोबार तेजी से बढ़ा है। टैक्स में तेज बढ़ोतरी के कारण 2012-13 से अब तक सिगरेट का अवैध कारोबार 36 प्रतिशत बढ़ गया है। 2011 के 19.5 अरब स्टिक से बढ़कर यह कारोबार 2018 में 26.5 अरब स्टिक का हो गया।


* डब्ल्यूएचओ के एकतरफा नियमनों, ऊंचे टैक्स, अवैध, तस्करी कर लाए हुए और जाली सिगरेट कारोबार के कारण एफसीवी तंबाकू का उत्पादन 2013-14 के 32.5 करोड़ किलोग्राम से घटकर 2019-20 में 21 करोड़ किलोग्राम रह गई। इससे एफसीवी तंबाकू किसानों को 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। सिगरेट के वर्तमान टैक्स दरों के आधार पर देखा जाए तो सिगरेट के अवैध कारोबार के कारण सरकार को भी सालाना 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


* देश में एफसीवी तंबाकू किसानों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए एसीसीडी में प्रस्तावित वृद्धि से एफसीवी तंबाकू किसानों की आय पर और दुष्प्रभाव पड़ेगा।


इन उपरोक्त समस्याओं के साथ ही भारत सरकार ने तंबाकू निर्यात पर मिलने वाले इन्सेंटिव को भी खत्म कर दिया है, जिससे ग्लोबल मार्केट में भारत कम प्रतिस्पर्धी रह गया हैजिम्बाब्वे, मालावी आदि जैसे देश इन्सेंटिव और सब्सिडी के जरिये अपने किसानों को प्रोत्साहन देते हैं। सरकार की ओर से समर्थन में मी से फसल की बुआई कम हुई है और किसान मजबूरन स्वयं ही एफसीवी तंबाकू उत्पादन से खुद को दूर करने लगे हैं।


इन सबके साथ ही एसीसीडी में वृद्धि का यह प्रस्ताव केवल तंबाकू पर लगाया गया है, जो जीएसटी के मौलिक सिद्धांतों के विरुद्ध है। इसलिए हम माननीय वित्त मंत्री से इस पर पुनर्विचार करने और तंबाकू पर एनसीसीडी वृद्धि का फैसला वापस लेने का अनुरोध करते हैं।


हम सरकार से हमारा अनुरोध स्वीकार करने और हमारी आजीविका की रक्षा के लिए करबद्ध प्रार्थना करते हैं