केजीएवी ने प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान की तारीफ की

      कर्नाटक के खनन कर्मियों को प्रभावित करने वाली नीतियों के मामले में भी इसके अक्षरशः पालन की अपील की


नई दिल्ली : कर्नाटक में खनन पर निर्भर और तनाव में जी रहे लोगों के प्रतिनिधि संगठन ‘कर्नाटक गनी अवलंबितरा वेदिके (केजीएवी) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान की तारीफ की है और कर्नाटक राज्य में लौह अयस्क खनन को लेकर भी इसी तरह की नीतियां अपनाने की अपील की है। केजीएवी ने कर्नाटक से लौह अयस्क की बिक्री पर लगे प्रतिबंधों को भी हटाने की अपील की है। इससे खनन सेक्टर में 1,00,000 लाख अतिरिक्त रोजगार सृजित होंगे और ऐसे समय में जबकि रोजगार सृजन की बहुत जरूरत है, यह कदम लोगों के लिए बहुत राहत भरा होगा।


कर्नाटक के माननीय मुख्यमंत्री एस. येदियुरप्पा की ओर से राज्य से 80 लाख टन लौह अयस्क की बिक्री की अनुमति देने की सिफारिश का स्वागत करते हुए केजीएवी ने कहा कि राज्य सरकार को संबंधित प्राधिकारों से क्लीयरेंस लेते हुए इस प्रक्रिया को तेज करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 'सी' क्लास माइनिंग लीज को रद करने के फैसले से पहले ही इस लौह अयस्क का खनन कर लिया गया था। केजीएवी का कहना है कि इस कदम से अर्थव्यवस्था को गति देने और कोविड-19 से लड़ने में मदद मिलेगी। इससे जुटाए गए फंड का इस्तेमाल राज्य में कोविड से पीड़ित लोगों के जीवन और उनकी आजीविका की रक्षा के लिए किया जा सकता है।


कर्नाटक गनी अवलंबितरा वेदिके (केजीएवी) के प्रवक्ता श्री राजकुमार एस ने कहा, “माननीय मुख्यमंत्री श्री येदियुरप्पा जी द्वारा 80 लाख टन लौह अयस्क बेचने के फैसले पर मैं आभार व्यक्त करता हूं। इस पहल का दोहरा लाभ है। पहला यह कि इससे राजस्व बढ़ेगा और दूसरा इससे राज्य में रोजगार व आजीविका की स्थिति में भी सुधार होगा। हम अधिकारियों से अपील करते हैं कि पूरी प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए क्योंकि मौजूदा वक्त में आजीविका की बहाली देश के लिए प्राथमिकता का मुद्दा है और इस पहल से कर्नाटक में खनन पर निर्भर बेरोजगार एवं गरीब लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।"


कर्नाटक सरकार ने जुलाई, 2010 में राज्य से निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था और 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे कायम रखा था। प्रतिबंध के कारण कर्नाटक में खनन किया हुआ लौह अयस्क भारत के बाहर नहीं बेचा जा सकता है। इस अनुचित नीति के कारण राज्य में खनन पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई है क्योंकि कामगार अधिकारियों द्वारा तय एक सीमा से ज्यादा खनन नही कर सकते हैं। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड (सीएमआईई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, मई, 2020 में कर्नाटक में बेरोजगारी की दर 20.4 प्रतिशत रही। 


 राजकुमार एस ने आगे कहा, "कर्नाटक में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं। मौजूदा माहौल में जबकि पूरा देश आर्थिक गिरावट की चपेट में है, राज्य में लौह अयस्क खनन की नीतियों में माननीय प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' अभियान को अपनाने से राज्य को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और आयात को भी घटाया जा सकेगा।"


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राजकुमार एस 8861480699