पहली छमाही में कोविड-19 के कारण उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद ईटीएफ में रिकॉर्ड आमद के साथ सोने की कीमतों में तेजी
नई दिल्ली : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की नवीनतम गोल्ड डिमांड ट्रेंडस रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने वर्ष 2020 की पहली छमाही में सोने के बाजार से जुड़े उपभोक्ता क्षेत्र पर असर डाला है और वर्ष 2019 की समान अवधि के मुकाबले सोने की मांग 6ः की गिरावट के साथ 2,076 टन पर आ गई है।
हालांकि सोने की समग्र मांग में गिरावट आई तो वहीं पहली छमाही में सोना आधारित ईटीएफ में 734 टन की रिकॉर्ड आमद देखी गई। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों ने महामारी की प्रतिक्रिया में दरों में कटौती के साथ बड़े पैमाने पर लिक्विडिटी इंजेक्शन किया और इसकी वजह से यह रिकॉर्ड आमद देखी गई। इसके विपरीत, एशियाई कमजोरी के कारण दूसरी तिमाही में गोल्ड बार और सिक्कों के निवेश में तेजी से गिरावट आई और यह पहली छमाही में 17ः गिरकर 397 टन पर आ गया। वैश्विक बाजारों में लॉकडाउन के साथ सोने की ऊंची कीमतों और खर्च करने लायक आय में कमी के चलते उपभोक्ता मांग में कमी आई जिससे आभूषणों की मांग 46ः गिरकर 572 टन पर आ गई और प्रौद्योगिकी में इस्तेमाल होने वाला सोना पहली छमाही में 13ः गिरकर 140 टन पर आ गया।
वलर्ड गोल्ड काउंसिल में मार्केट इंटेलिजेंस, लुईस स्ट्रीट ने कहारू “कोविड-19 ने सोने के निवेश के मामले में भूचाल ला दिया क्योंकि ऐतिहासिक लिक्विडिटी इंजेक्शन और रिकॉर्ड स्तर तक कम हुई ब्याज दरों के कारणकॉस्ट ऑफ कैरिंग गोल्ड में उल्लेखनीय कमी आई। साल की पहली छमाही में सोने आधारित ईटीएफ में रिकॉर्ड आवक के साथ हमने सोने की कीमतों में तेज वृद्धि देखी।
दूसरी तिमाही में गोल्ड-आधारित ईटीएफ (गोल्ड ईटीएफ) में काफी आमद देखी गई और पहली छमाही में यह आदम 3434 टन के रिकॉर्ड-ब्रेकिंग स्तर तक चली गई। पहली छमाही में हुई आमद ने वर्ष 2009 के 646टन के पिछले वार्षिक रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया और वैश्विक होल्डिंग्स को 3,621टन तक बढ़ा दिया।
पहली छमाही में अमेरिकी डॉलर में सोने की कीमतों में 17ः और दूसरी तिमाही में 10ः की वृद्धि हुई। गोल्ड-आधारित ईटीएफ में मजबूत आमद ने वृद्धि को बढ़ावा दिया। सोने की कीमत यूरो, स्टर्लिंग, रुपया और रॅन्मिन्बी सहित कई अन्य मुद्राओं में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई।
वर्ष 2020 की पहली छमाही में सोने के सिक्कों और स्मॉल बार में निवेश तेजी से 17ः घटकर 397 टन पर आ गया, जो वर्ष 2009 की पहली छमाही के बाद सबसे कम है। पूरे एशिया की मांग में आई भारी गिरावट ने पश्चिम में हुई वृद्धि को पीछे छोड़ दिया क्योंकि इस महामारी को लेकर दुनिया भर के निवेशकों की प्रतिक्रिया अलग-अलग रही है।
कोविड-19 के कारण आई वैश्विक रुकावट और सोने की ऊंची कीमतों कुछ मामलों में रिकॉर्ड कीमतों के कारण पहली छमाही में आभूषणों की मांग आधी होकर 572 टन रह गई। महामारी का प्रभाव इतना कठोर रहा कि दूसरी तिमाही में मांग अभूतपूर्व गिरावट के साथ 251 टन पर आ गई।
केंद्रीय बैंकों ने पहली छमाही के दौरान 233 टन सोना खरीदा, जो 2019 के रिकॉर्ड स्तर से 39ः कम था। खरीदारी काफी केन्द्रित हो गई है और 2020 में अब तक बहुत कम बैंकों ने अपने भंडार में बढ़ोतरी की है।
महामारी से सोने की आपूर्ति प्रभावित हुई पहली छमाही में कुल आपूर्ति 6ः घटकर 2,192 टन पर आ गई क्योंकि खदान और रीसाइक्लिंग दोनों पर लॉकडाउन के कारण लगे प्रतिबंधों का असर पड़ा।
“इसके विपरीत, 2020 में कोविड-19 से कारण उपभोक्ता मांग में भारी गिरावट आई एशिया,यूरोप और उत्तरी अमेरिका में लागू किए गए लॉकडाउन ने बाजार के उपभोक्ता-केंद्रित क्षेत्रों को गंभीर रूप से बाधित कर दिया, जिसमें आभूषणों की मांग अभूतपूर्व स्तर तक गिर गई। गोल्ड बार और सिक्कों के निवेश में तेज गिरावट आई क्योंकि एशियाई मांग में आई भारी कमी ने पश्चिमी देशों में निवेश में आए जोरदार उछाल को छिपा दिया।
बाजार के उपभोक्ता-केंद्रित क्षेत्र अगले छह महीनों तक मंदे रहेंगे, लेकिन फिलहाल चल रही अनिश्चितता और आगे भी महामारी की लहर आने के खतरे का मतलब है कि भविष्य के पूर्वाभास को देखते हुए सोने का सुरक्षित निवेश निवेशकों को आकर्षित करेगा।”