सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के प्रयासों ने इलाज के बाद कुष्ठ से मुक्त हुए लोगों एवं उनके परिवार के 2230 लोगों को दिलाया रोजगार

                                           


मध्य प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु वे पांच राज्य हैं जहां एस-आईएलएफ के प्रोग्राम से लोग सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं



नई दिल्ली : कुष्ठ से पीड़ित लोगों एवं उनके परिवारों को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में कार्यरत संगठन सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन (एस-आईएलएफ) ने आज कुष्ठ पीड़ितों एवं उनके परिवार के लोगों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को दूर करने के अपने प्रयास को गति देते हुए उद्योग संगठन सीआईआई से गठजोड़ का एलान किया।


सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन तथा नीति आयोग के वाइस चेयरमैन डॉ. राजीव कुमार की उपस्थिति में कुष्ठ रोग निवारण दिवस के मौके पर इस गठजोड़ का एलान किया गया। इस मौके पर एस-आईएलएफ ने देशभर में आजीविका एवं शिक्षा की दिशा में किए गए अपने प्रयासों की जानकारी साझा की, जिनके तहत कुष्ठ से पीड़ित लोगों और उनके बच्चों को बेहतर नतीजे मिले हैं।


                                               


सामाजिक रूप से भेदभाव की शिकार इस आबादी की सहायता की दिशा में एस-आईएलएफ के सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप कुष्ठ से पीड़ित लोगों तथा उनके परिजनों को उनकी प्राथमिकता के आधार पर आजीविका के साधन उपलब्ध हुए हैं। इस पहल से सबसे ज्यादा लाभ पाने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश और बिहार हैं जहां क्रमशः 340 और 270 लोगों को आजीविका मिली है। इसी के साथ, सामाजिक स्वीकार्यता और सम्मान वापस दिलाने के प्रयास के तौर पर एस-आईएलएफ ने कुष्ठ पीड़ित लोगों के बच्चों के लिए शिक्षा के कार्यक्रम भी चलाए हैं। इससे 15 राज्यों में 1,507 से ज्यादा बच्चों की सहायता हुई है।


जहां तक रोजगार की प्राथमिकता का मामला है, रिटेल, पशुपालन और कृषि तीन । तमिलनाड | 187 ऐसे पेशे हैं, जो भारत में कुष्ठ पीड़ित लोगों की पसंद हैं। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुष्ठ से ठीक हुए 37.5 प्रतिशत लोगों ने अपने प्राथमिकता वाले पेशे के तौर पर कृषि को चुना है, क्योंकि कुछ वर्ष पहले एक ट्रस्ट ने इन लोगों को जमीन दान में दे थी। छत्तीसगढ़ में 26 प्रतिशत लोगों ने पशुपालन को प्राथमिकता वाले पेशे के रूप में चुना।


इस अवसर पर माननीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा, "इस श्रेष्ठ कार्य का हिस्सा बनकर मुझे खुशी हो रही है, खासकर राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि के मौके पर, जिन्होंने अपना जीवन कुष्ठ को मिटाने के लिए समर्पित कर दिया। एस-आईएलएफ इन मरीजों के लिए बेहतरीन काम कर रहा है और मैं खुद इनके बेहतर स्वास्थ्य एवं समाज में इस बीमारी व इससे पीड़ित लोगों को लेकर फैले छुआछूत व भेदभाव को खत्म करने की दिशा में काम करने का इच्छुक हूं। मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को 100 से ज्यादा भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करने के संबंध में पत्र लिखा है और मैं इन पीड़ितों एवंफाउंडेशन को सुनिश्चित करता हूं कि बहुत जल्द इन कानूनों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। हमारी सरकार ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में बहुत काम किए हैं और इन कानूनों को खत्म करने का कदम कुष्ठ पीड़ित लोगों को हमारी तरफ से सबसे बड़ा सहयोग होगा। मैं इस पहल को बहुत महत्वपूर्ण मानता हूं और मेरा विश्वास है कि श्री सासाकावा के जीवन सफर पर उनकी किताब समाज की बेहतरी में योगदान के इच्छुक कई युवाओं के लिए प्रेरणा व प्रोत्साहन का काम करेगी।"


कुष्ठ के संबध में बात करते हुए एस-आईएलएफ के चेयरमैन श्री तरुण दास ने कहा, "एस-आईएलएफ कुष्ठ से पीड़ित लोगों को स्वरोजगार की दिशा में कुशल बनाने और वित्तीय सहायता प्रदान करने में सतत रूप से प्रयासरत है। हमारा संगठन न केवल कुष्ठ पीड़ितों के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में प्रयास करता है, बल्कि उनके बच्चों को भी बेहतर जीवन जीने की दिशा में सहायता करता है।


एस-आईएलएफ के साथ मिलकर सीआईआई कुष्ठ पीड़ित समुदाय के प्रति जागरूकता, समानता एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में सक्रियता से कदम उठाएगा। सीआईआई कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी व अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से कुष्ठ पीड़ितों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में भी प्रयास करेगा।


इस अवसर पर सीआईआई के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "इस महान कार्य में सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन के साथ जुड़कर हम प्रसन्न हैं। कुष्ठ से दुनियाभर में करीब 2.5 लाख लोग प्रभावित हैं, जिनमें से अधिकतर मामले भारत से हैं। सीआईआई उद्योग जगत में अपनी पहुंच का लाभ उठाने और निचले स्तर तक लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक करने की दिशा में प्रतिबद्ध है। सीआईआई कुष्ठ से पीड़ित एवं प्रभावित युवाओं को सीआईआई के कौशल विकास कार्यक्रमों का हिस्सा भी बनाएगी, जिससे उन्हें रोजगार मिल सके और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। मुझे भरोसा है कि हमारे संयुक्त प्रयास से समाज में इस संबंध में जागरूकता आएगी और कुष्ठ पीड़ितों की स्वीकार्यता बढ़ेगी। साथ ही यह कुष्ठ पीड़ितों एवं उनके परिजनों के साथ होने वाले भेदभाव को कम करने में मददगार होगा।"